8TH SEMESTER ! भाग-16 ( Worst Days of My Life)
"7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाले उस गधे को भी बुला लो बे, बस उसी की कमी है...."ये मैने खुद से कहा....एक नॉर्मल पढ़ने वाला स्टूडेंट जब ऐसी सिचुयेशन मे फँसता है तो वो अक्सर घबराया हुआ होता है और कुछ का मूत तक निकल जाता है,लेकिन मैं अब थोड़ा अजीब बिहेवियर कर रहा था और अंदर ही अंदर कॉमेडी करे जा रहा था...... क्यूंकि जो चीज मुझे बुरी लगती है मै उसका मज़ाक बनाना शुरू कर देता हूँ...
"ये तो वही कैंटीन वाला है.."मैने अभी ये सोचा ही था की वहा एक और बाइक आकर वहाँ खड़ी हुई और उस बाइक पर वही 7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाला रावण सवार था.....वरुण बाइक से उतरा तो दूसरे सीनियर ने उसे एक सिगरेट दी और सर कहकर उसे विश भी किया.......
"गुड आफ्टरनून सर..."इरादा तो नही था लेकिन फिर भी मैं वरुण से बोला, क्या पता साला खुश हो जाए और मुझे बचा ले....
"यहाँ क्यूँ बुलाया छोटे..."उसी हॉस्टल वाले सीनियर से वरुण ने पुछा ,जो मुझसे ना जाने किस जनम का बदला ले रहा था.....
"ये वही लड़का है सर, जो बहुत उचक रहा था...आज पकड़ मे आया है...."
"इधर आ..."वरुण ने अपनी दो उंगलियो से मुझे करीब आने का इशारा किया..."नाम क्या है..."
"अरमान.....फर्स्ट ईयर ....ब्रांच-मैकेनिकल ....."मैने सब कुछ एक बार मे ही बता दिया क्यूंकी मुझे मालूम था कि उसका अगला सवाल यही होगा....
"ये तो बड़ा स्मार्ट बंदा है छोटे...."
"कुछ नही सर, आप देखो अभी इसकी स्मार्टनेस निकालता हूँ.... नीचे बैठ बे साले... नही तो नंगा करके दौड़ाऊंगा पुरे ग्राउंड मे..."
"ऐसा...? लो बैठ गया... अब .."चिलचिलाती धूप मे ऐसे ही ज़मीन पर बैठ कर मै बोला और उसके बाद तुरंत खड़ा भी हो गया ...
"वापस बैठ, साले हरामी...."मुझे जबरदस्ती नीचे धकेलते हुए उस हॉस्टल वाले ने कहा
इसके बाद उसने मुझे फिर से उठाया और थोड़ी देर बाद फिर से बैठने के लिए कह दिया... और फिर से इसी प्रोसेस को रिपीट किया. साली पूरी इज़्ज़त की लगी पड़ी थी वो सब सीनियर लड़किया अपना पेट पकड़-पकड़ कर ठहाके लगा रही थी, कुछ फोटो भी ले रही थी तो कुछ वीडियो भी बना रही थी और इधर दूसरी तरफ उठक बैठक करके मेरी साँसे फूलने लगी.....
"सबसे बड़ा चूतिया है ये....मैने आज तक इससे बड़ा चुतिया नही देखा..."मेरे पास आकर वीडियो बनाते हुए विभा बोली
मेरा पूरा शरीर उस वक़्त पसीने से लथपथ था, जाँघे जल्दी - जल्दी उठक बैठक कटने के कारण दर्द करने लगी थी, लेकिन ना तो किसी ने मुझे रुकने के लिए कहा और ना ही मै रुका.. क्यूंकि मुझे मालूम था की इधर मै रुकूंगा और उधर से ये सब मुझे मारने लगेंगे... वीडियो बनेगा वो अलग. पर इस दौरान एक समय ऐसा भी आया.. जब मेरा शरीर, मेरी ताकत जवाब देने लगी और इस चिलचिलाती धूप मे मैं केवल बैठ कर रह गया....दोबारा उठने की हिम्मत ही नही बची....
"अबे उठ.....,"वरुण ने विभा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अपने जूते से वहाँ धूल को मेरे चेहरे पर उड़ाया..
"अब....हिम्मत......नही है..सर.. प्लीज... जाने.. दीजिये...."ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए मैने जवाब दिया और एक नज़ारा देखा कि वरुण और विभा के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे.....
"देखो सर, ये नही उठ रहा..."हॉस्टल वाले ने मेरे ना उठने पर वरुण से शिकायत की
"अबे उठ..."अपने होंठो को विभा के होंठो से एक पल के लिए अलग कर वरुण बोला"उठ जा वरना नंगा करके दौड़ाउंगा...."
"हाथ लगा के देख तेरी माँ ना पेल दू.. तो कहना.. साले राक्षस... मज़ाक बना लिया है... बोल रहा हूँ की अब नही है शरीर मे जान, फिर भी नही जाने दे रहे... सब साले हराम के जने हो ."taav-ताव मे मैने आखिर कर बोल ही दिया....
,लेकिन उसके अगले पल जब मुझे ख़याल आया कि मैने क्या बोला है तो मैं कुछ देर के लिए शुन्य हो गया और समझ गया कि मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन आज आने वाला है.....
"बेल्ट निकाल, इसको इसकी औकात दिखाता हू..."विभा को दूर करके वरुण मेरे पास आया और अपने बड़े-बड़े मज़बूत हाथो से मेरे जबड़ो को पकड़कर दबाते हुए अपने दोस्तो से बोला"अबे बेल्ट दो..."
"सर, छोड़ो उसे....मर जाएगा ये..."
"मरने दे... हरामी बोला मुझे... मुझे... टीचर्स की फट के हाथ मे आ जाती है, मुझसे बात करते हुए और ये साला... कल का आया कुत्ता, मुझओर भोंक गया... बेल्ट दे.. "
"अरे सर छोड़ो उसे..."बाकी सीनियर्स ने मिलकर वरुण को मुझसे दूर किया और फिर मेरे पास आए...
"चल पुश अप कर..."
"Sorry, i cant..."मै अब भी पसीने मे तर -बतर हांफ रहा था
"तेरा बाप भी करेगा..."वरुण की आवाज़ फिर मेरे कानो मे पड़ी
उन लोगो ने मालूम नही क्या प्लान बनाया था कि सभी ने मुझे घेर लिया और फिर पुश अप करने के लिए एक साथ कहने लगे..... यहाँ तक की लड़किया तालिया बजा कर मुझे पुश अप करने के लिए मेरा उत्साह भी बढ़ाने लगी...
"एक बात अपने कान के साथ -साथ तेरे शरीर मे जितने छेद है ना... उसमे घुसा ले.. पुश अप करने के दौरान यदि तू ज़रा भी रुका तो वही खींच कर एक-एक लात सब तेरी पीठ मे मारेंगे... फिर बोलना मत की धोखे से घेर के मारा है, समझा ...."
वो लोग हद पार कर रहे थे और मैं उस वक़्त यही सोच रहा था कि क्या मैं कल का सूरज देख पाउन्गा ? और यदि मैं कल का सूरज देखूँगा भी तो किस हाल मे ? उस वक़्त मुझे ये भी नही मालूम था कि कल मैं कॉलेज मे रहूँगा या भी नही.. कल क्या.. आज मै बचूंगा या नही...? या किसी हॉस्पिटल मे अपने पूरे जिस्म मे पट्टी बँधवा कर पड़ा रहूँगा ?
खैर, मरता क्या ना करता... मैने पुश अप करना शुरू किया और अभी शुरू ही किया था की किसी ने मेरे पैंट का बेल्ट उतारने की कोशिश की और मैं वही रुक गया और ज़मीन से चिपक गया... ताकि ये लोग मुझे निर्वस्त्र ना कर सके...
"ये आप लोग...."मैं कह भी नही पाया था कि मेरी कमर पर कसकर कई लात एक साथ पड़े ,
पूरा शरीर दर्द और डर से एक समय ही काँप उठा, मेरी आँख से आँसू के कुछ बूँद भी निकले... पसीने से लथ पथ होने के कारण मेरे पूरा कपड़ो से धुल चिपक गई थी,... वो मुझे लात मारते रहे और मैन धरती माँ की कोख मे आश्रय ढूंढ़ने की आस मे ज़मीन से चिपका रहा... जब उनकी लातों की बारिश थमी तो कोई नुकैली चीज मेरे पुरे जिस्म मे चुभी और ये देखने के लिए मैने अपनी गर्दन वही नीचे पडे -पडे थोड़ा पीछे की ओर घुमाया.... वहा मौज़ूद लड़कियो ने अब अपनी नुकीली सैंडल्स से मेरे कमर पर दस्तक दी थी और वो पल ऐसा था जिसे मैं आज भी नही भुला सकता, उस दिन उस पल को याद करता हूँ.. तो वो मंजर आज भी आँखों के सामने छा जाता है और उनकी सैंडल्स की चुभन अब भी मुझे महसूस होती है... .उस दिन ना जाने कितने दिनो बाद मैं रोया था और ना जाने कितनी बार रोया था... मै रोता -बिलखता वही नीचे धरती माँ की कोख से लिपटा रहा पर किसी को मुझपर दया नही आयी......
"चल फिर शुरू हो जा और याद रखना ,इस बार मत रुकना...." जब वो सब थक गए तो मुझे दोबारा पुश अप करने का आदेश मिला
मैने रोते हुए, काँपते हुए अपने हाथ ज़मीन से टिकाए और काँपते हुए पुश अप लगाने की कोशिश करने लगा... लेकिन तुरंत ही, जैसे मै ऊपर उठा..., विभा ने अपने हाथ से मेरे पैंट मे लगी बेल्ट को निकाला, मार की डर से मैने कोई विरोध नही किया और ना ही कुछ बोला... बेल्ट निकाल कर विभा ने जीन्स का बटन खोल दिया.....लेकिन मैं नही रुका क्यूंकी मुझे मालूम था कि रुकने का मतलब फिर से वही मार खाना....पूरे शरीर से बेतहासा पसीना निकल रहा था जिससे ज़मीन पर मेरी छाप बन चुकी थी ..... और जब मैं पुश अप कर रहा था तो उसी वक़्त विभा ने मेरी पैंट को नीचे खिसका दिया और खिलखिला के हँसने लगी.....
"क्या बात है, मेरी जान... और तू साले, हरामी... तू रुकना मत बे..."वरुण बोला
पैंट नीचे खिसकाने के बाद, विभा ने कमर के नीचे के बाकी बच्चे वस्त्रो को भी खिसका कर मुझे निर्वस्त्र कर दिया और मैं थक हार कर वही लेट कर रोने लगा....वो सब बहुत देर तक वही खड़े हँसते रहे ,मुझे गालियाँ देते रहे और फिर जब मुझे ऐसे देख उनका मन भर गया तो उन्होंने फिर से मुझे मारा और वहा से चले गए....
यदि ये सब कॉलेज के अंदर होता तो शायद आज वो सब जेल मे होते,लेकिन ऐसा नही हुआ था और कॉलेज के बाहर जो कुछ भी हुआ उसकी रेस्पॉन्सिबिलिटी कॉलेज की नही होती....मैं बहुत देर तक वैसे ही निर्वस्त्र ग्राऊंड मे पड़ा रोता रहा, सुबकता रहा... इस दौरान कुछ लोग वहा से गुजरे भी.. मुझे देख रुके भी.. पर मैने किसी की तरफ नही देखा.. और जब लगा की मुझे लेने यहाँ कोई नही आने वाला तो... अपने कपडे पहन कर ग्राउंड से अपने हॉस्टल की तरफ चला, उस वक़्त मैं अंदर से टूट चुका था...रोते-रोते आँसू ख़तम हो गये थे, पर फिर भी रोना चाहता था... आँखे सुर्ख लाल थी और जख्म भी...
To Be Continued....😎
Sana Khan
01-Dec-2021 02:04 PM
Good
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 05:19 PM
बहुत बढ़िया भाग..😢
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Fiza Tanvi
27-Aug-2021 12:21 PM
Nice part
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